Karni Sena 01 August 2019
सीकर जैसी नीच घटना का होना हमारी नई पीढ़ी का राजपूत
संस्कारो से दुरी बनाना व हमारे गौरान्वित इतिहास को भूल जाना एवं Social Media तक सिमित होकर उस पर फूहड़ प्रदर्शन मुख्य वजह है।
खानदानी राजपूत कभी भी अपनी माता-बहनो व अर्द्धांगनी के फोटो अपने घर के (drawing room) बैठक कक्ष में तक नहीं लगाते थे और कुछ संस्कारी राजपूत तो आज भी नहीं लगते वही उसके विपरीत नईपीढ़ी आजकल photo तो क्या social मीडिया पर अपनी घर की महिलाओ के डांस के वीडियो डाल रही और उन पर भद्दे comment जैसे sexy आदि जैसी अश्लीन टिपण्णी पर गर्व महसूस कर रहे है एवं दूसरे समाज के लोग उन video को अश्लील गानो के साथ दोबारा upload व Social Media पर Viral कर उसका लाभ उठा रहे है।
वा रे रजपूती ।
हद हो गयी ,एक दुल्हन को खुले आम अपहरण करके ले गए ।
आजकल बन्ना लोग शोशल मीडिया पर मूछें ताने ओर बाईसा टिक टोक पर कमरिया लचका रहे है ।
उधर धरातल पर लोग समाज की फजीहत करे जा रहे है
ये कमजोरी मेरी ,हम सबकी व पूरे समाज की है जो ये दिन देखने को मिला ।।
कहा मर गयी वो रजपूती शांन मांन मर्यादा ।
आजकल के इस जमाने मे राजपूत अपनी संस्कृति कम्व मर्यादा से दूर भागकर जा रहा है ।
आज एक दुल्हन को लूट कर ले गए ।
एक जमाना था जब किसी भी जाति या समाज मे अगर किसी डॉली पर आंच आती तो सबसे पहले एक क्षत्रिय अपनी जान पर दांव लगाकर उस बहन को बचाते ।
ओर सही सलामत डोली को घर तक पहुंचाते ।
ओर अब कलयुग से घिरे अंधेरे में ईसी समाज की बेटियों पर आन पड़ी है ।
कहा कसर रहे गयी जो आज ये दिन देखने को मिला इस समाज को ।
बस अगर आज के इस दौर से देखे तो ये इस परिवार की कमजोरी,देख रेख में कमी
कहे या उस कायर बुझदिल की दादागीरी ।
बात जो भी हो पर आज पूरे समाज को सोचने पर मजबूर कर रहा है ये नाटक ।
सोचने के लिए तो दो पहलू है ।
या तो देखभाल में कमजोरी रही या ।।
किसी ने जानबूझकर ये घिनोनी हरकत की है ।
अब समाज के संघटन व सेनाएं व प्रबुद्ध जन आंदोलन करेंगे ।थानों के घेराव करेंगे उन बुझदिलो को पकड़ने के लिए ।
पर होना क्या उसने तो आज समाज को उस रास्ते पर लाकर खड़ा कर दिया है की कही नाक तक काटने को नही बची ।
ये जो शोसल मीडिया का जब से जमाना आया है कोई न जाने कैसे कैसे वीडियो और फोटोज सावर्जनिक कर रहे है ।
तो होना क्या है यही होगा जो आप देख रहे है ।
आज हर दिन कही न कही ऐसी घटनाएं घटित हो रही है ।
चलो ये तो उजागर हो गयी जो सबके सामने है ।
आज के इस दौर में देखे तो कहा तक बचेंगे ।
हम लोग हम अपनी मांन मर्यादा को लांघ कर पश्चिमी सभ्यता की तरफ अग्रसर होते जा रहे है ।
हर किसी को आजादी चाहिए पर वो आजादी है कौनसी ये समझ मे नही आती ।
अपने परिवार से आजादी , कपड़े की आजादी ,बोलचाल की आजादी ।
बस एकले रहकर ही जीना है आज के युवक व युवतियों को ।
तो यही होना है ।
परीवार का क्या ।
कौनसी इज्जत , किसकी इज्जत क्या करना है इज्जत का ।
बस आज के इस युग मे तो खुली जिंदगी जो जिनी है क्या करना है घर परिवार ओर इज्जत का ।
जाए तो जाए ।
संभल जाओ रे राजपूतो संभालो अपनी संस्कृति, परम्परागत शैली व इतिहास को ।
समय होते नही जागे तो हालात बहुत बुरे होंगे ।
संभालो अपनी बहन बेटियों को अच्छे संस्कार दो ताकि ये दिन देखने को न मिले ।
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